Final-year engg student from Bastar makes 3D printer

Final-year engg student from Bastar makes 3D printer

Final-year engg student from Bastar makes 3D printer

- सामान्य रूप से 3 डी प्रिंटर बनाने में कितना पैसा लगता है, इसका उल्लेख करें। या एक 3D प्रिंटर का बाजार मूल्य क्या है।

दरअसल सामान्य रूप से 3डी प्रिंटर बाजार में रेडीमेड मिलते हैं, जिसकी कीमत 40 से 50 हजार से शुरू होती है। जबकि यही प्रिंटर बनाने में इस इंजीनियरिंग छात्र ने 10 हजार रूपए से भी कम का खर्च किया है।

- कुछ तकनीकी विशेषज्ञ की टिप्पणी या छात्र की एचओडी की टिप्पणी प्राप्त करें कि यह उपलब्धि कितनी बड़ी है।

इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जीपी खरे की मानें तो ये एक बड़ी उपलब्धि है। इससे कम से कम मॉडलों के लिए सामान बना लिए जा सकेंगे। इसके साथ ही घर में उपयोग में लाया जाने वाला छोटा-मोटा सामान भी इससे बनाया जा सकता है। इस तरह का प्रिंटर अपने आपमें एक बड़ा आविष्कार है, जो आने वाले समय में निश्चित रूप से मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए वरदान बनेगा। इधर छात्र ने बताया कि एक बार घर में बल्ब का होल्डर खराब हो जाने के बाद उसने इसी प्रिंटर से होल्डर तैयार किया और उसके मेटल का हिस्सा निकालकर इसमें फिट कर दिया। इसके बाद ये चालू भी हो गया।

- यह प्रिंटर क्या कर सकता है? इस प्रिंटर से बनी वस्तुओं की गुणवत्ता कितनी अच्छी है? वे कितने मजबूत / विश्वसनीय हैं?

छात्र अनिल बताते हैं कि फिलहाल इसे शुरू ही किया जा सका है और सामान बनाए भी जा रहे हैं। इसमें प्लास्टिक के नट-बोल्ट, बल्ब का होल्डर, ब्रैकेट बनाए जा चुके हैं। जैसा कैड सॉफ्टवेयर में डिजाइन किया गया है, वैसा ही इससे सामान लिया जा सकता है। गुणवत्ता पर उन्होंने बताया कि जैसा मटेरियल उपयोग करेंगे, वैसा ही सामान हमें मिलेगा। अनिल ने बताया कि अभी इस पर काम जारी है। इसकी मजबूती और विश्वसनीयता को लेकर इसमें काम बाकी है, जिसे पूरा करना है। उन्होंने बताया कि इस प्रिंटर से 30 सेमी लंबा, 30 सेमी चौड़ा और 50 सेमी तक ऊंचा कोई भी सामान तैयार किया जा सकता है। 

- इस प्रिंटर के साथ उसने क्या कुछ आइटम बनाए हैं? बताएं कि यह सभी प्रिंटर क्या बना सकते हैं और वे आइटम कितने अच्छे हैं। इसके उपयोग क्या हैं?

इस प्रिंटर के साथ उन्होंने प्लॉटर भी बनाया है, जो किसी भी तस्वीर को हूबहू कागज पर उकेर सकता है। इसके लिए उन्हें केवल 300 रूपए खर्चने पड़े और उनका प्लॉटर तैयार हो गया, जिसे लेकर वे राज्योत्सव में भी अपना प्रदर्शन कर चुके हैं। घर में उपयोग में लाए जाने वाले छोटे-छोटे सामानों को इस प्रिंटर से तैयार किया जा सकता है। 

- किस छात्र ने यह माना कि वह इतनी जटिल मशीन बना सकता है? उसे शुरू करने का आत्मविश्वास क्या दिया? उन्होंने वास्तव में यह कैसे तय किया कि उन्हें 3D प्रिंटर बनाने की कोशिश करनी चाहिए उसे बनाने में कितना समय लगा? उसे किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा? वह उनसे कैसे दूर हुआ? उसने कहां से सीखा कि पार्टनर कैसे बनाएं?

दरअसल बचपन से ही अनिल को तकनीकी क्षेत्रों में नई शुरूआत और नए आइडिया पर काम करना अच्छा लगता था। अनिल जब 8वीं कक्षा में थे तो उन्होंने पाथ फॉलोइंग रोबोट बनाया था। ये रोबोट एक तय रास्ते पर अपने आप चलता है। उन्होंने इसमें आत्मविश्वास देने का पूरा श्रेय अपने माता-पिता और गुरू को दिया है। उन्होंने बताया कि पिता भोजनालय का काम संभालते हैं, लेकिन उन्हें इस काम में आगे नहीं जाना था, उनके सपने बड़े थे और वे कुछ नया करना चाहते थे। यही कारण है कि उन्होंने इंजीनियरिंग में मैकेनिकल ब्रांच चुनी और पढ़ाई शुरू कर दी। आठवें सेमेस्टर में उन्होंने 10 हजार रूपए से भी कम के खर्च पर ये 3डी प्रिंटर तैयार कर दिया है। चुनौतियों में उन्हें कई बार ऐसा भी हुआ कि कबाड़ में सामान नहीं मिलने से वे परेशान होते रहे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और इधर या उधर से जोड़-तोड़कर उन्होंने सामान जुटाया और प्रिंटर खड़ा कर दिया।

- क्या इस प्रिंटर को दूसरों के लिए बनाने के लिए अब कोई ऑफ़र हैं? वह अपनी इस रचना के साथ क्या करने की योजना बना रहा है?

फिलहाल वे इसे अपग्रेड करने में जुटे हुए हैं। इस प्रिंटर का उन्नयन कर वे इसकी क्षमता बढ़ाने के साथ ही इसकी गुणवत्ता को और ज्यादा बेहतर बनाने का काम कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस प्रिंटर के जरिए स्टार्टअप करने की तैयारी की है। स्टार्टअप योजना में उन्होंने खुद को रजिस्टर भी किया है, लेकिन जब तक इस प्रिंटर को फाइनलाइज कर उन्नयन करने के साथ ही गुणवत्ता को बेहतर नहीं कर लिया जाता, वे इसी में डटे रहेंगे। 

- नवाचार के मामले में वह आगे क्या करने की योजना बना रहा है?

नवाचार या इनोवेशन के मामले में अभी इसी 3डी प्रिंटर को तैयार करने में वे अपना समय बिता रहे हैं। इस काम में उनके प्राध्यापकों का भी सहयोग अनिल को मिल रहा है। प्रिंटर की टेस्टिंग तो हो चुकी है, लेकिन इसे अंतिम रूप देते हुए इसके अपग्रेडेशन पर काम जरूरी है। उन्होंने बताया कि यही उनके प्रोजेक्ट का हिस्सा भी है। 

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